Psychology जिसका हिंदी मे अर्थ होता है ‘मनोविज्ञान’ एक बहुत हीं रोचक विषय है।
इसके अंतर्गत मानव मन और उसके व्यवहार को गहराई से अध्ययन किया जाता है, ताकि यह मालूम किया जा सके कि लोग कैसे सोचते है, क्यों ऐसे व्यवहार करते है, कैसे निर्णय लेते है, कैसे सीखते है, कैसे याद करते है कोई जानकारी, इत्यादि।
Psychology बहुत हीं दिलचस्प विषय है यह हमारी जिंदगी के हर महत्वपूर्ण पहलुओं पर अध्ययन करता है जैसे कि हमारी सोच, हमारी आदतें, हमारी भावनाएं, हमारी व्यवहार, हमारी खुशी, हमारे समाज के बारे में।
यह एक लंबी पोस्ट है जो आपका परिचय मनोविज्ञान से कराएगा और आपको मनोविज्ञान से जुड़ी लगभग हर एक बेसिक सवाल का जवाब देगा जैसे कि मनोविज्ञान होता क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? इसको क्यों पढ़ना चाहिए और किसे पढ़ना चाहिए? इसके क्षेत्र के कुछ उत्कृष्ट व्यक्ति और उनके प्रयोग जो आधुनिक मनोविज्ञान को आकर देने मे महत्वपूर्ण योगदान रहा?
जिस तरह से आप Psychology के बारे में सीखते जायेंगे आप इसको बहुत हीं fascinating पाएंगे।
आप पाएंगे कि किस तरह से यह इंसान के जिंदगी का एक अहम हिस्सा है।
- Meaning of Psychology – मनोविज्ञान शब्द का अर्थ
- What is Psychology? – मनोविज्ञान क्या है?
- Definition of Psychology – मनोविज्ञान की परिभाषा
- Why Study Psychology? – मनोविज्ञान क्यों पढ़ने चाहिए?
- Who should read psychology – मनोविज्ञान किसे पढ़ना चाहिए?
- Brief History of Psychology – मनोविज्ञान का इतिहास संक्षेप मे
- Major Branches of Psychology – मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण शाखाएं
- Important Psychological Theory – प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
- मनोविज्ञान जगत के प्रमुख व्यक्ति और उनके योगदान।
- Manovigyan के दुनिया का चर्चित Experiment
- Psychology in Everyday Life – रोज के जिंदगी मे मनोविज्ञान का अनुप्रयोग
- Want to Learn More About Psychology
Meaning of Psychology – मनोविज्ञान शब्द का अर्थ
Psychology शब्द का पहली बार प्रयोग का श्रेय अक्सर रुडोल्फ गोकेल (Rudolf Göckel) नामक एक जर्मन विद्वान को दिया जाता है।
गोकेल ने अपनी पुस्तक “Psychologia” में इस शब्द का प्रयोग किया था, इस किताब में गोकेल ने मानव व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं, और भावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की थी।
फिर 17वीं और 18वीं शताब्दी में, कई अन्य विद्वानों ने भी मानव आत्मा और मन के बारे में लिखने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया।
19वीं शताब्दी में, जब विल्हेम वुंट ने मनोविज्ञान को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया, तो उन्होंने भी इस शब्द का इस्तेमाल किया।
वुंट के कार्यों ने मनोविज्ञान को एक प्रमुख अध्ययन क्षेत्र के रूप में स्थापित करने मे मदद किया।
इस प्रकार, गोकेल की किताब “Psychologia” ने मनोविज्ञान शब्द को जन्म दिया, जो धीरे-धीरे एक अध्ययन के क्षेत्र का नाम बन गया।
Psychology शब्द दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है: “प्साइक” (psyche), जिसका अर्थ है “आत्मा” या “मन”, और “लॉगोस” (logos), जिसका अर्थ है “विज्ञान” या “अध्ययन”। इस तरह से Psychology का शाब्दिक अर्थ हुआ “आत्मा का अध्ययन” या “मन का विज्ञान”।
Psychology का हिंदी शब्द मनोविज्ञान भी दो शब्दों के मिलकर बना है मन और विज्ञान जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ हुआ मन का विज्ञान।
English का Psychology हो या हिंदी का मनोविज्ञान दोनों का अर्थ होता है ‘मन का विज्ञान’ अर्थात मन के बारे अध्ययन।
What is Psychology? – मनोविज्ञान क्या है?
Psychology दिमाग और व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसके अंतर्गत सिर्फ मनुष्य हीं नहीं बल्कि जीव जंतु के दिमाग के बारे में अभी अध्ययन करते है।
मनोविज्ञान एक ऐसा विषय है, जो यह समझने में मदद करता है कि:
लोग कैसे सोचते है?
हम समस्याओं को कैसे हल करते हैं?
सही गलत में फर्क कैसे करते है?
आदतें कैसे बनती और बदलती हैं?
हमारी याददाश्त कैसे काम करती है?
हम क्यों विभिन्न प्रकार के भावनाएं जैसे कि डर, खुशी, गुस्सा, उदासी इत्यादि अनुभव करते है?
किस तरह से लोग एक दूसरे की मदद करते है? इत्यादि इत्यादि।
Definition of Psychology – मनोविज्ञान की परिभाषा
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को अपने-अपने दृष्टिकोण और अध्ययन के आधार पर परिभाषित किया है, जो उनके विचारधारा को दर्शाता है। नीचे कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिकों द्वारा दिया गया मनोविज्ञान की परिभाषाएँ दी गई हैं। इन परिभाषाओं के माध्यम से मनोविज्ञान के विकास और इसकी जटिलता को समझा जा सकता है।
मनोविज्ञान चेतना के अनुभव का वैज्ञानिक अध्ययन है।
– विल्हेम वुंड्ट
मनोविज्ञान चेतना की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन और व्याख्या करता है।
– विलियम जेम्स (William James)
मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो पर्यवेक्षणीय (observable) व्यवहार का अध्ययन करता है।
– जॉन बी. वॉटसन (John B. Watson)
मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो व्यवहार पर पर्यावरण के प्रभाव का अध्ययन करता है।
– B. F. Skinner
मनोविज्ञान स्वयं की समझ और आत्मविकास (self-growth) का अध्ययन है।
– कार्ल रॉजर्स (Carl Rogers)
मनोविज्ञान चेतन और अवचेतन मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है।
– सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud)
यह कुछ प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों द्वारा मनोविज्ञान की परिभाषा थी जो उन लोगों के दृष्टिकोण को समझती है।
आधुनिक मनोविज्ञान की परिभाषा को अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) ने इस प्रकार परिभाषित किया है:
“मनोविज्ञान मस्तिष्क और व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है।”
यह परिभाषा मनोविज्ञान की मूलभूत समझ को व्यक्त करती है, जो बताती है कि यह क्षेत्र हमारे सोचने, समझने महसूस करने और व्यवहार करने के तरीकों का वैज्ञानिक अध्ययन है।
Why Study Psychology? – मनोविज्ञान क्यों पढ़ने चाहिए?
मनोविज्ञान पढ़ना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह हमारी जिंदगी में हर महत्वपूर्ण जगह पर काम आता है।
यह हमारे जीवन के विभिन्न प्रकार के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक समस्याओं को समझने और हल करने मे मदद करती है। यह हमें खुद को और दूसरों को समझने में मदद करता है।
मनोविज्ञान पढ़ने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे:
निर्णय लेने मे कुशलता:
मनोविज्ञान के मदद से हीं आप सीखते है कि भावनाओं और तर्क के बीच संतुलन बनाकर बेहतर फैसले कैसे लिया जाएं।
Self Awareness(आत्म ज्ञान):
मनोविज्ञान हमे हमारी सोच, विचार और व्यवहार को जानने मे मदद करता है। जिससे हम खुद को बेहतर तरीके से जान और समझ पाते है।
दूसरों को समझने मे:
मनोविज्ञान से हमे दूसरों के Emotions और behaviur को समझने मे मदद मिलती है जिससे आप दूसरों से बेहतर तरीके से कनेक्ट कर पाए।
स्वयं की मदद:
अगर कभी खुद को मानसिक तनाव, डिप्रेशन या चिंता महसूस हो, तो मनोविज्ञान हमें सही समय पर मदद लेने के लिए प्रेरित करता है।
दबाव को संभालना:
यह हमे किसी भी प्रकार के मानसिक दबाव से निपटने का तरीका सिखाता है।
रिश्ते सुधारने मे:
मनोविज्ञान हमे बेहतर संवाद करना करना सिखाती है ताकि रिश्तों मे गलतफहमी कम हो और आपसी समझ ज्यादा जिससे रिश्ते बेहतर बन पाए।
फोकस बढ़ाना:
मनोविज्ञान हमे ऐसी बहुत से तरीके बताती है जिससे आप अपना ध्यान और फोकस बढ़ा सकते है।
सकारात्मक सोच विकसित करना:
जिंदगी में हार-जीत, लाभ नुकसान, को सही तरीके से स्वीकारने और आगे बढ़ने की मानसिकता सिखाता है।
समाज की भलाई:
मनोविज्ञान के मदद से हम उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
आसान शब्दों मे मनोविज्ञान का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह पूर्ण रूप से हमारे बारे मे है।
हमारे दिमाग के बारे मे है।
हमारे व्यवहार के बारे मे है।
हमारी भावनाओं के बारे में है।
हमारी दुख और सुख के बारे मे है।
हमारी दूसरे के बारे में समझ के बारे मे है।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि Psychology पढ़कर आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, दूसरों को अच्छी तरह से समझ सकते हैं, और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
Who should read psychology – मनोविज्ञान किसे पढ़ना चाहिए?
मनोविज्ञान हर एक उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जो,
अपने आप को बेहतर समझना चाहते है। दूसरों को बेहतर समझना चाहते है। लोगों के पर्सनेलिटी के बारे मे जानना चाहते है यह जानने मे रुचि रखते है कि लोग कैसे सोचते है, कैसे निर्णय लेते है, कैसे व्यवहार को बदलते है, इत्यादि।
मनोविज्ञान एक ऐसा व्यापक विषय है जो विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जैसे कि व्यक्तित्व, व्यवहार, भावनाएं, मस्तिष्क के कार्य और मानसिक स्वास्थ्य।
इसी व्यापकता के कारण मनोविज्ञान हर एक व्यक्ति के लिए किसी न किसी क्षेत्र मे उपयोगी साबित हो हीं जाती है।
मनोविज्ञान को हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जो मानव मन और व्यवहार को गहराई से समझकर अपने जीवन और समाज को बेहतर बनाना चाहता है।
Students को मनोविज्ञान पढ़ने चाहिए ताकि वह अपनी फोकस और याद करने की क्षमता बढ़ा सके।
Teachers को पढ़ने चाहिए ताकि विद्यार्थी के मानसिक क्षमता के अनुसार शिक्षा सामग्री और effective technique का प्रयोग करे।
Parents को मनोविज्ञान पढ़ना चाहिए ताकि वो अपने बच्चे का विकास सही से कर पाए।
बिजनेसमैन को पढ़ना चाहिए ताकि वह अपने कर्मचारियों मे प्रोडक्टिविटी बढ़ा सके, नेतृत्व का कौशल, और टीम वर्क का भावना पैदा कर सके।
एथलीट्स को ताकि मानसिक रूप से मजबूत बनने में मदद मिले।
चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले लोग को पढ़ने चाहिए ताकि वो अपने रोगियों से बेहतर संवाद कर सके और उपचार कर सके।
हर एक व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जो खुद को समझने और दूसरों को समझने मे रुचि रखता है।
Brief History of Psychology – मनोविज्ञान का इतिहास संक्षेप मे
इसके इतिहास जानने के बाद हीं आप समझ पाएंगे कि मनोविज्ञान किस तरह से धीरे – धीरे विकसित होकर आज इतना व्यापक विषय बन चुका है।
भले हीं Manovigyan का सर्वाधिक विकास पिछले 150 साल मे हुआ है लेकिन इंसान को मानव मस्तिष्क के बारे में जानने की जिज्ञासा प्राचीन काल से रही है।
सुकरात, Pluto,अरस्तू, इत्यादि लोगों ने मानव मस्तिष्क के बारे मे बता रखा है जो आज भी उपयोगी है।
हालांकि प्राचीन काल में लोगों के पास मनोविज्ञान की विस्तृत जानकारी नहीं थी, लेकिन वे मन, जीवन, सोच और व्यवहार के बारे में अपने तरीके से समझने की कोशिश करते थे।
उस समय के कुछ प्रसिद्ध लोग जैसे कि सुकरात, प्लेटो और अरस्तु ने मानव मन और विचारों पर गहन अध्ययन किया।
इन लोगों ने सीधे तौर पर मनोविज्ञान (Psychology) के बारे में नहीं लिखा (क्योंकि उस समय मनोविज्ञान कोई अलग विषय नही था) पर उनके विचार और शिक्षाएं मनोविज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सुकरात(~400 ईसा पूर्व):
सुकरात की ‘ Know Thyself(अपने आप को जानो)’ सिद्धांत बहुत लोकप्रिय है जो इस बात पर जोड़ देता है कि हमें अपने आप को, और अपनी सोच, को समझने की कोशिश करनी चाहिए।सुकरात का मानना था कि आत्म-जागरूकता से ही हम सच्ची समझ और नैतिकता प्राप्त कर सकते हैं। जिससे हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते है। Modern मनोविज्ञान में भी आत्म जागरूकता का स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यक्ति को अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझने में मदद करता है।
प्लेटो(~380 ईसा पूर्व):
प्लेटों का भी चेतना और मानव व्यवहार समझने मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्लेटो ने “द्वैतवाद dualism” की अवधारणा को प्रोत्साहित किया,जो बताती है कि आत्मा और शरीर अलग अलग है।
अरस्तू (~350 ईसा पूर्व):
जो प्लेटो का शिष्य था को मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले महान दार्शनिकों में से एक माना जाता है। अरस्तू का विचार इनके गुरु से एकदम उल्टा था इनका मानना था कि आत्मा और शरीर एक दूसरे से अलग नहीं होते है। इनके अनुसार, आत्मा शरीर के कार्यों का संचालन करती है। मनोविज्ञान को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा, विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। और आधुनिक मनोविज्ञान को एक ठोस आधार प्रदान किया है।
रेने डेसकार्टेस-René Descartes (17वीं शताब्दी):
रेने डेसकार्टेस जो एक फ्रेंच दार्शनिक था प्लेटो द्वारा दिया गया dualism को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा और मनोविज्ञान तथा दार्शनिक आधार पर इसे अधिक विस्तार से व्याख्या किया। जो Cartesian Dualism से बहुत प्रचलित हुआ। जिसमें शरीर और मन को अलग-अलग माना और यह सिद्धांत आधुनिक मनोविज्ञान की नींव रखी।
जॉन लॉक (17वीं शताब्दी):
लॉक ने Empiricism (अनुभववाद) का सिद्धांत प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि मन बाहरी वस्तुएं से विचार ग्रहण करता है लाक के अनुसार, जन्म के समय बच्चे का दिमाग खाली स्लेट समान होता है सभी प्रकार के ज्ञान बाद के अनुभव से आती है, जन्मजात नहीं होती।
आधुनिक मनोविज्ञान का औपचारिक प्रारंभ सन् 1879 से माना जाता है, जब विल्हेम वुण्ट ने 1879 में जर्मनी के लीपजिग में दुनिया की पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की। इस प्रयोगशाला में, उन्होंने मानव चेतना और भावनाओं को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करने का प्रयास किया। वुण्ट ने यह समझने की कोशिश की कि विभिन्न भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ कैसे उत्पन्न होती हैं और वे हमारे व्यवहार को कैसे प्रभावित करती हैं।
William James (1890):
ने Functionalism की नीव राखी जो यह समझने की कोशिश करता है कि हमारे दिमाग की हर क्रिया का उद्देश्य क्या है और वो हमारे जीवन को किस तरह से मदद करती है।
Sigmund Freud(1900):
फ्रेड जो एक ऑस्ट्रियाई मनोवैज्ञानिक थे, उन्होंने मनोविश्लेषण (Psychoanalysis) का विकास किया और मानव मस्तिष्क और व्यवहार को समझने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका मानना था कि मानव व्यवहार के पीछे अवचेतन (Unconscious) मन का महत्वपूर्ण योगदान होता है, और वह यह मानते थे कि हमारे बहुत से विचार, यादें, और इच्छाएँ हमारे अवचेतन मन में स्थित होती हैं, और ये हमारे व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित करती हैं।
जॉन वॉटसन (1913):
व्यवहारवाद (Behaviorism) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने मानसिक प्रक्रियाओं को दूर रखकर केवल दिखाई देने वाले व्यवहार(Observable Behaviors) पर ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना था कि अगर हम किसी व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है, इसे जाने बिना भी, हम उसके व्यवहार को बदल सकते हैं।
बी.एफ. स्किनर (1940s):
ऑपेरेंट कंडीशनिंग का सिद्धांत विकसित किया, जो बताता है कि व्यवहारों को पुरस्कार(reward) और दंड(punishment) से नियंत्रित किया जा सकता है।
इसमें से कई theory बाद मे गलत साबित हुई तो कुछ theory में सुधार।
लेकिन एक बात तो सत्य है कि यह मनोविज्ञान का इतिहास आज की उन्नत Modern Psychology की नींव है।
Major Branches of Psychology – मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण शाखाएं
मनोविज्ञान अध्ययन का एक बहुत बड़ी विषय बन गई है इसलिए इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए इसको विभिन्न शाखाओं मे विभाजित किया गया है जिसमे से प्रमुख है –
1. Abnormal Psychology(असामान्य मनोविज्ञान):
असामान्य मनोविज्ञान वह शाखा है जो मानसिक विकारों, और असामान्य व्यवहार, का अध्ययन करती है। मनोवैज्ञानिक इसके अंतर्गत Depression(अवसाद), Anxiety(चिंता), Phobias(डर), इत्यादि का अध्ययन करते है।
2. Behavioral Psychology:
मनोविज्ञान की यह शाखा मुख्य रूप से व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करती है। व्यवहार को समझने और बदलने के तरीकों का अध्ययन करती है।
इसके अध्ययन का प्रमुख क्षेत्र है:
> व्यवहार कैसे सीखा जाता है और किन कारणों से प्रेरित होता है।
> सकारात्मक और नकारात्मक परिणामों का व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
> क्लासिकल और ऑपेरेंट कंडीशनिंग के माध्यम से व्यवहार को कैसे बदला जा सकता है।
3. Biological Psychology (Neuropsychology):
यह शाखा यह समझने की कोशिश करती है कि दिमाग, हार्मोन्स, और तंत्रिका तंत्र हमारे व्यवहार, विचार और भावनाओं को कैसे प्रभावित करते हैं।
इसके अध्ययन के प्रमुख क्षेत्र है:
> मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों(जैसे सेरेब्रल कॉर्टेक्स, हिप्पोकैम्पस, अमिग्डाला) का व्यवहार पर प्रभाव का अध्ययन करना।
> हार्मोन्स जैसे कि (Adrenaline) का व्यवहार और मानसिक स्थिति पर प्रभाव।
4. Clinical Psychology:
यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के निदान और उपचार पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अंतर्गत मानसिक विकारों (जैसे कि पारिवारिक तनाव, रिश्ते संबंधी मुद्दों, चिंता, इत्यादि) का अध्ययन, कारण, और चिकित्सा शामिल हैं। क्लिनिकल Psychology के तहत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सिर्फ अध्ययन नही अपितु उसके चिकित्सा पर भी ध्यान दिया जाता है।
5. Cognitive Psychology(संज्ञानात्मक मनोविज्ञान):
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान वह शाखा है जो मानसिक प्रक्रियाओं—जैसे ध्यान, स्मृति, भाषा,निर्णय, समस्या समाधान, और सोच—का अध्ययन करती है। यह समझने का प्रयास करती है कि लोग जानकारी कैसे प्राप्त करते हैं, कैसे उसे संग्रहीत करते हैं, लोग निर्णय कैसे लेते है, व्यक्ति जटिल समस्याओं का समाधान कैसे ढूंढते हैं, इत्यादि।
6. Comparative Psychology(सापेक्षात्मक मनोविज्ञान):
Comparative Psychology वह शाखा है जो विभिन्न प्रजातियों(जानवरों, पशु, पक्षियों) के व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रजातियों के व्यवहार में समानताएँ और भिन्नताएँ का विश्लेषण करना, विभिन्न प्रजातियाँ जानकारी को कैसे ग्रहण करती हैं, सीखती हैं, और याद रखती हैं, एक दूसरे से कैसे संचार करती है का अध्ययन किया जाता है।
7. Counseling Psychology(काउंसलिंग मनोविज्ञान):
काउंसलिंग मनोविज्ञान वह शाखा है जो लोगों को मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक समस्याओं से निपटने में मदद करती है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों की समस्याओं का निवारण करना और उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल बनाना है।
8. Cross-Cultural Psychology (सांस्कृतिक मनोविज्ञान):
एक रोचक क्षेत्र है जो विभिन्न संस्कृतियों में लोगों के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझने का प्रयास करता है। इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिक यह अध्ययन करते है कि कैसे लोग विभिन्न संस्कृतियों में अपने अनुभवों, मान्यताओं और प्रथाओं के आधार पर अलग-अलग सोचते और व्यवहार करते हैं।
9. Developmental Psychology(विकासात्मक मनोविज्ञान):
विकासात्मक मनोविज्ञान मानव विकास के विभिन्न चरणों का अध्ययन करने वाला मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसमें जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक शारीरिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
10. Educational Psychology(शिक्षा मनोविज्ञान):
मनोविज्ञान की शाखा जिसमें यह अध्ययन किया जाता है कि विद्यार्थियों को सीखने की प्रक्रिया को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है। आखिर बच्चे और वयस्क किस तरह से नई जानकारी सीखते है, उसे याद करते है, कौन कौन सी कारण होती है जो उन्हें प्रेरित करती है ताकि विद्यार्थी के शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विकास के आधार पर उसकी उम्र और मानसिक स्तर के अनुसार प्रभावी शिक्षण सामग्री और शिक्षण विधियां तैयार की जा सके। जिससे विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया और बेहतर हो सके।
11. Evolutionary Psychology:
यह मनोविज्ञान की वह शाखा है जो यह अध्ययन करती है कि हमारे व्यवहार, सोच और भावनाओं का विकास समय के साथ कैसे हुआ। इस क्षेत्र के मनोवैज्ञानिक यह समझने कि कोशिश करते है कि पिछले लाखों वर्षों के दौरान मानव मस्तिष्क और व्यवहार कैसे विकसित हुए और इसका आज के जीवन पर क्या प्रभाव है। यह जानने का प्रयास करते है कि जिन चुनौतियों का सामना हमारे पूर्वजों ने हजारों लाखों साल पहले किया, जैसे भोजन प्राप्त करना, खतरों से बचना, साथी का चयन करना और सामाजिक संबंध बनाना, उनके समाधान के लिए हमारे मस्तिष्क और व्यवहार ने कैसे अनुकूलन(adapt) किया और इसका आज के जीवन पर इसका क्या प्रभाव है।
12. Forensic Psychology:
इसका मुख्य उद्देश्य कानून और अपराध से जुड़े मामलों में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और तकनीकों का उपयोग करना है ताकि न्याय प्रणाली को बेहतर बनाया जा सके। इसके अंतर्गत अपराधियों के व्यवहार, अपराध के कारणों, गवाहों की याददाश्त एवं विश्वसनीयता, और न्यायिक प्रक्रियाओं के विभिन्न मनोवैज्ञानिक पहलुओं का अध्ययन शामिल है।
13. Health Psychology (स्वास्थ्य मनोविज्ञान):
मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसमे यह अध्ययन किया जाता है कि मानसिक, सामाजिक, और भावनात्मक कारक हमारे स्वास्थ्य, बीमारी और उपचार को कैसे प्रभावित करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, बीमारियों की रोकथाम करना, और लोगों की जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।
14. Human Psychology (मानव मनोविज्ञान) :
वह शाखा है जिसके अंतर्गत इंसान के सोचने, समझने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को समझा जाता है। यह जानने की कोशिश करता है कि लोग अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, उनके विचार और भावनाएँ कैसे बनते हैं, खुशी, गुस्सा, डर, उदासी जैसी भावनाएँ क्यों और कैसे पैदा होती हैं, लोग कैसे निर्णय लेते है और उनका व्यक्तित्व कैसे विकसित होता है।
15. Industrial-Organizational Psychology (औद्योगिक-संगठनात्मक मनोविज्ञान):
मनोविज्ञान की एक शाखा है जो काम करने की जगह (उदाहरण के लिए ऑफिस) पर इंसानों के व्यवहार, प्रदर्शन, माहौल और संबंधों का अध्ययन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है काम करने वाले लोगों को कुशल बनाना, अधिक प्रभावी बनाना, उन्हें लीडरशिप के लिए तैयार करना, teamwork का बढ़ावा देना, कर्मचारियों के मनोबल और संतुष्टि(Work Satisfaction) को समझना।
16. Personality Psychology (व्यक्तित्व मनोविज्ञान):
Personality Psychology मनोविज्ञान की वह शाखा है जो यह अध्ययन करता है कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व (Personality) कैसे बनता है, कैसे बदलता है, और यह हमारे व्यवहार और सोच पर कैसे असर डालता है। इसमें मनोवैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करते है कि आखिर इंसान मे पर्सनेलिटी विविधताओं का क्या कारण है? ऐसा क्यों होता है कि कोई व्यक्ति बहुत शांत होता है तो कोई गुस्सैल। कोई व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता हो तो कोई व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है। कोई व्यक्ति अधिक अनुशासित होता है तो कोई व्यक्ति कम।
17. Positive Psychology:
पॉजिटिव साइकोलॉजी मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो इंसान के सकारात्मक पहलुओं(जैसे की happiness, gratitude, purpose), का अध्ययन करती है। इसका अध्ययन बिंदु मानसिक समस्याओं को ठीक करने के बजाय जीवन के सकारात्मक पहलुओं को समझने और उन्हें विकसित करने पर होता है। पॉजिटिव साइकोलॉजी इंसान को खुशहाल, संतोषजनक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने में सहायता करता है। यह बताती है कि हम कैसे अपनी खुशी, संतुष्टि, और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
18. Psychopathology:
साइकोपैथोलॉजी मानसिक बीमारियों और भावनात्मक विकारों के लक्षण, कारण, और प्रभावों को समझने और उनका इलाज ढूंढने का विज्ञान है। यह Abnormal Psychology का हीं भाग है लेकिन इसमें विकारों के इलाज पर ध्यान दिया जाता है जबकि Abnormal Psychology मुख्य रूप से अध्ययन पर केंद्रित होता है कि ऐसे विकार क्यों होता है? आसान भाषा में साइकोपैथोलॉजी का काम मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझना और उनके लिए सही समाधान ढूंढना है।
19. Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान):
मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो यह अध्ययन करती है कि लोगों के विचार, भावनाएँ, और व्यवहार अन्य व्यक्तियों या समाज द्वारा कैसे प्रभावित होते हैं। सामाजिक मनोविज्ञान हमे यह बताती है कि लोग समूह के दबाव मे आकर गलत निर्णय क्यों लेते है? लोग अपनी पहचान को समूहों से (जैसे कि जाति, धर्म, राष्ट्रीयता) कैसे जोड़ते है और इनका व्यक्ति के विचार और व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्यों कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के आदेशों का पालन करता है या फिर नहीं करता है। लोग अपने आप को दूसरों से तुलना क्यों करते है?, इत्यादि।
20. Sports Psychology(खेल मनोविज्ञान):
मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो एथलीट्स के मानसिक तैयारी और मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य एथलीट्स को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना है ताकि वे अपने खेल में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।इसका उद्देश्य यह होता है कि कैसे एथलीट्स के आत्मविश्वास को बढ़ाया जा सकता है। Mental toughness कैसे विकसित किया जा सकता है। Visualisation जैसी मनोवैज्ञानिक तकनीक से कैसे प्रदर्शन बेहतर किया जा सकता है। खेल के दौरान चिंता और तनाव को कैसे निंयत्रित किया जा सकता है। टीम के सदस्यों के बीच कैसे बढ़िया ताल मेल बैठाया जाए।
Important Psychological Theory – प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
मनोवैज्ञानिक सिद्धांत वह नियम या नियमों का समूह हैं जिन्हें मानोवैज्ञानिकों ने बहुत सारे अध्ययनों और परीक्षणों के बाद तैयार किया होता है जो मानव व्यवहार, सोच और भावनाओं को समझाने का प्रयास करते हैं। बताता हैं कि लोग कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और बर्ताव करते हैं।
मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के मुख्य लक्ष्य होता हैं:
> मानव व्यवहार की व्याख्या करना। (Explain)
> मानव व्यवहार की भविष्यवाणी करना। (Predict)
> मानव व्यवहार मे सुधार करना (Improve)
मनोवैज्ञानिकों ने ऐसे बहुत सारे सिद्धांत दे रखे है जो हमे मानव व्यवहार के जटिलताओं को समझने में मदद करती है मनोविज्ञान के क्षेत्र के प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत और उसके कुछ महत्वपूर्ण उप सिद्धांत(sub-theory) निम्नलिखित है:
1. व्यवहारवाद(Behaviorism) यह सिद्धांत मानता है कि मानव(या पशुओं) के व्यवहार को बाहरी परिस्थितियों और अनुभवों द्वारा आकार दिया जा सकता है।
व्यवहारवाद के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) पावलोव का Classical Conditioning
II) B. F. Skinner का Operant Conditioning
III) अल्बर्ट बंडूरा का Observational Learning
2. मनोविश्लेषण का सिद्धांत (Psychoanalytic Theory) इस सिद्धांत के अनुसार मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं को अवचेतन मन और बचपन के अनुभवों द्वारा समझा जा सकता है।
मनोविश्लेषण के सिद्धांत के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) फ्रायडियन मनोविश्लेषण
II) वस्तु-संबंध सिद्धांत (Object Relations Theory)
III) जुंगियन विश्लेषण (Jungian Analysis)
3. संज्ञानात्मक सिद्धांत (Cognitive Theory) यह सिद्धांत बताता है कि मानव व्यवहार और निर्णयों को उनकी मानसिक प्रक्रियाओं, जैसे कि विचार, स्मृति, और धारणाओं द्वारा समझा और प्रभावित किया जा सकता है।
Cognitive Theory के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) Piaget’s Cognitive Development Theory (पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत)
II) Vygotsky’s Sociocultural Theory (वायगॉट्स्की का समाज-सांस्कृतिक सिद्धांत)
III) Schema Theory (स्कीमा सिद्धांत)
4. मानवतावादी सिद्धांत (Humanistic Theory) इस सिद्धांत के अनुसार हर एक व्यक्ति के अंदर बेहतर बनने की ताकत है और उसके पास खुद को बढ़ाने, सीखने और बेहतर बनने की स्वाभाविक इच्छा होती है।
मानवतावादी सिद्धांत के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) आत्म-परिपूर्णता (Self-Actualization)
II) मास्लो की आवश्यकता का पदानुक्रम (Maslow’s Hierarchy of Needs)
III) कार्ल रॉजर्स का सिद्धांत (Carl Rogers’ Theory)
5. विकासात्मक सिद्धांत (Developmental Theory) यह सिद्धांत लोगों के जीवन के दौरान होने वाले बदलावों और विकास के बारे मे बताता है। यह बताता है कि हम कैसे और क्यों समय के साथ शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से बदलते हैं।
विकासात्मक सिद्धांत के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) एरिक एरिकसन का मनोसोशल विकास सिद्धांत (Erik Erikson’s Psychosocial Development Theory)
II) लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत (Kohlberg’s Moral Development Theory)
III) लोरेन बाउल्बी का जैविक विकास और संबंध सिद्धांत (Bowlby’s Attachment Theory)
6. जैविक सिद्धांत (Biological Theory) जैविक सिद्धांत यह मानता है कि हमारे शारीरिक संरचनाएँ और प्रक्रियाएँ हमारे मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
जैविक सिद्धांत के प्रमुख उप-सिद्धांत हैं:
I) व्यवहारिक आनुवंशिकी (Behavioral Genetics)
II) न्यूरोसाइकोलॉजिकल सिद्धांत (Neuropsychological Theory)
इन सिद्धांतों को समझने से हमें मानव व्यवहार की जटिलताओं को बेहतर ढंग से समझने मे और उसे प्रभावी रूप से बदलने मे मदद मिलती है।
मनोविज्ञान जगत के प्रमुख व्यक्ति और उनके योगदान।
आज की आधुनिक मनोविज्ञान सतत् विकास की देन है और इसके विकास मे बहुत सारे उत्कृष्ट व्यक्तियों का योगदान रहा है।
जिनमें से प्रमुख है:
Plato:
यूनानी दार्शनिक जिन्होंने मनोवैज्ञानिक विकास के लिए प्रकृति को जिम्मेदार बताया उनका मानना था कि हमारे मन में कुछ विचार और ज्ञान जन्म के समय से ही हमारे साथ होते हैं। उनके अनुसार, यह जन्मजात ज्ञान और विचार हमारे मनोवैज्ञानिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Aristotle:
Plato का हीं शिष्य लेकिन प्लेटो के विचारों के विपरीत इन्होंने यह सुझाव दिया कि ज्ञान पहले से ही हमारे भीतर नहीं होता, बल्कि हमारे जीवन के अनुभवों के माध्यम से धीरे-धीरे विकसित होता है। उनका यह मानना था कि हम जन्म के समय बिना किसी पूर्वज्ञान के आते हैं और हमारे अनुभव और परिवेश हमारे मानसिक विकास को आकार देते हैं।
Rene Descartes:
फ्रांसीसी दार्शनिक जिन्होंने द्वैतवाद (dualism) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि मन और शरीर दो अलग-अलग अस्तित्व हैं। यह विचार बाद के मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बना।
John Locke:
अंग्रेजी दार्शनिक जो अरस्तू के तरह यह मानते थे कि जन्म के समय मन एक खाली स्लेट (Tabula Rasa) होता है और सभी ज्ञान एवं विचार, अनुभव और पर्यावरण से प्राप्त होते हैं। इसने यह विचार प्रस्तुत किया कि कोई भी विचार या ज्ञान जन्मजात नहीं होता।
Charles Darwin:
अंग्रेज़ी प्राकृतिक वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत का मनोविज्ञान पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके विचारों ने Evolutionary Psychology की नींव रखी और यह समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि मनुष्यों का मानसिक और भावनात्मक विकास किस प्रकार होता है।
Wilhelm Wundt:
जर्मन मनोवैज्ञानिक जिन्होंने 1879 में लिपजिग विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक research के लिए पहला औपचारिक प्रयोगशाला स्थापित किया, जिससे मनोविज्ञान को एक स्वतंत्र अध्ययन क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली। विल्हेम वुंट को मनोविज्ञान का “पिता” माना जाता है।
William James:
विलियम जेम्स एक प्रमुख अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे। जिन्होंने फंक्शनलिज़्म के सिद्धांत विकसित किए। इन्हें “अमेरिकी मनोविज्ञान के पिता” भी कहा जाता है।
Ivan Pavlov:
इवान पावलोव एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे जिन्हें क्लासिकल कंडीशनिंग के सिद्धांत के लिए जाना जाता है।
Sigmud Freud:
सिग्मंड फ्रायड एक प्रसिद्ध ऑस्ट्रियन मनोचिकित्सक और मनोविश्लेषक थे।उन्हें मनोविज्ञान के क्षेत्र के सबसे प्रभावी व्यक्तियों में से एक के रूप में माना जाता है।
E. B. Titchener:
एडवर्ड ब्राडफोर्ड टिट्चेनर (Edward Bradford Titchener) एक प्रमुख अंग्रेजी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्हें सबसे ज्यादा स्ट्रक्च्युरलिज्म (Structuralism) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है
J. B. Watson:
जॉन ब्राडफोर्ड वाटसन (John Broadus Watson) एक प्रमुख अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिनका Behaviourism(व्यवहारवाद) के क्षेत्र मे योगदान उल्लेखनीय है।
Sir Frederic Charles Bartlett:
सर फ्रेडरिक चार्ल्स बार्टलेट एक ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक थे, वे सबसे ज्यादा अपनी ‘स्मृति और उसकी पुनर्निर्माण’ की धारणा के लिए जाने जाते हैं। बार्टलेट के अनुसार जब लोग अपने अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करते हैं, तो वे अनुभव और यादें बदल सकती हैं।
Jean Peaget:
जीन पियाजे एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत दिया जिससे बच्चों के मानसिक विकास के चरणों को समझने में मदद करता है।
B. F. Skinner:
बेर्रुस फ्रेडरिक स्किनर अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपरेंट कंडीशनिंग के सिद्धांत को विकसित किया। इनका कार्य आधुनिक मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रभावशाली रहा है।
हालांकि सभी मनोवैज्ञानिकों के बारे में यहां लिखना संभव तो नहीं है परंतु मनोविज्ञान जगत के ये कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने हमारे मानव व्यवहार की समझ और मनोविज्ञान के विकास को प्रभावित किया है।
Manovigyan के दुनिया का चर्चित Experiment
मनोवैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क और व्यवहार को समझने के लिए बहुत सारे रोचक प्रयोग किए जिसका उद्देश्य विभिन्न मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, और अनुभवों को समझना था ताकि मानव व्यवहार और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को गहराई से समझा जा सके।
मनोविज्ञान जगत में वैसे बहुत सारे प्रयोग हुए लेकिन यह 7 प्रयोग बहुत हीं लोकप्रिय और प्रभावशाली है जिसका चर्चा आज भी मनोविज्ञान के क्षेत्र मे बहुत होता है।
1. स्टैनफोर्ड प्रिजन एक्सपेरिमेंट:
यह प्रयोग बताता है कि कैसे सामान्य लोग, हिंसक और निर्दयी व्यवहार करने लगते है जब उन्हें अधिकार और शक्ति दी जाती है।
2. लिटिल एल्बर्ट प्रयोग:
लिटिल एल्बर्ट प्रयोग एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक प्रयोग है जो 1920 में जॉन बी. वाटसन द्वारा किया गया था। इस प्रयोग का उद्देश्य यह देखना था कि कैसे बच्चे डर को सीखते हैं।
3. बोबो डॉल प्रयोग:
यह प्रयोग सिद्ध करता है कि बच्चे दूसरों के व्यवहार की नकल करते हैं, विशेष रूप से आक्रामक व्यवहार की।
4. The Asch Conformity Study(एश का अनुरूपता प्रयोग):
यह प्रयोग लोगों के निर्णय पर समूह के दबाव के प्रभाव को दर्शाता है। इस प्रयोग मे देखा गया कि लोग समूह दबाव के तहत गलत उत्तर देने को तैयार हो जाते हैं, भले ही वे सही उत्तर जानते हों।
5. The Milgram Experiment:
यह प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक प्रयोग बताता है कि लोग किस हद तक दूसरों की बातें मान लेते हैं, भले ही वे जानते हों कि यह गलत है।
6. बायस्टैंडर प्रयोग:
यह प्रयोग बताता है कि जब हम अकेले होते हैं, तो हम मदद करने के लिए अधिक तैयार होते हैं। लेकिन जब हम अन्य लोगों के साथ होते हैं, तो हम मदद करने के लिए कम तैयार होते हैं।
7. मार्शमैलो प्रयोग:
यह प्रयोग बताता है कि जो बच्चे अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, वे अधिक सफल और संतुष्ट जीवन जीने की संभावना रखते हैं।
Psychology in Everyday Life – रोज के जिंदगी मे मनोविज्ञान का अनुप्रयोग
जब आप दो विकल्पों मे से एक को चुनते है तो आप मनोविज्ञान का हीं प्रयोग कर रहे होते है।
जब आप किसी जानकारी को याद करने के लिए उसे बार बार पढ़ते है तो आप मनोविज्ञान के तकनीक (Revision) का प्रयोग कर रहे होते है।
जब कोई व्यक्ति विज्ञापन (प्रचार) देख कर कोई सामान खरीदते है तो यह मनोविज्ञान के प्रभाव का हीं उदाहरण है।
मनोविज्ञान का अनुप्रयोग सिर्फ Personal Life तक सीमित नही है बल्कि मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत बड़ा है इसके उदाहरण आपको हर क्षेत्र मे मिल जाएगी Personal Life से लेकर Politics तक।
जैसे कि:-
Personal Life मे:
● सेल्फ Awareness जैसे तकनीक से लोग अपने आप को बेहतर समझ पाते है।
● Mindfulness से व्यक्ति अपने विचारों और Emotions पर नियंत्रण रख पाते है।
● एक्टिव Listening, Empathy, aur Gratitude जैसी मनोवैज्ञानिक तकनीक व्यक्ति को दूसरों के साथ बेहतर संचार और संबंध बनाने मे मदद करता है।
● Stress Managements तकनीक से लोग तनाव को बेहतर मैनेज कर पाते है।
Business मे:
Team Work, समय प्रबन्धन, और Reward जैसी तकनीक का प्रयोग बिजनेसमैन अपने कर्मचारियों का कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए करता है।
खेल जगत मे:
Goal Settings, Visualistaion, जैसी तकनीक एथलीट्स अपना परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए प्रयोग करते है।
शिक्षा के क्षेत्र मे:
Revision, Chunking, और Mnemonics जैसी मनोवैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग students नई जानकारी जल्दी याद करने के लिए करता है।
Politics मे:
Framing, Social Proof और Persuassion तकनीक का प्रयोग politicians मतदाताओं के बीच अपना विचार प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने के लिए करता है।
स्वास्थ्य मे:
Cognitive Behavioral Therapy (CBT) और Behavioral Conditioning जैसे तकनीक का प्रयोग चिकित्सक व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को सुधारना और बेहतर बनाने के लिए करते है।
यह कुछ उदाहरण है जो बताती है कि मनोविज्ञान का दैनिक जीवन मे कितना प्रयोग होता है। और इसलिए मनोविज्ञान का अध्ययन बहुत हीं महत्वपूर्ण हो जाता है।
Want to Learn More About Psychology
अगर आपने यहां तक पढ़ा है तो आप पूर्ण रूप से समझ गए होंगे कि मनोविज्ञान का अध्ययन कितना जरूरी है मुख्य रूप से Personal Life के लिए ताकि आप बेहतर निर्णय ले सके, भावनाओं और विचारों को नियंत्रित कर सके, चिंता और तनाव को सकुशल मैनेज कर सके, दूसरों के व्यवहार को समझ सके, दूसरों के साथ प्रभावी रूप से communicate(संचार) कर सके, और भी बहुत कुछ।
यह सब आपको मनोविज्ञान के अंतर्गत हीं अध्ययन करने को मिलेगा और अगर आप इन सब के बारे मे रुचि रखते है तो नीचे कुछ resources दिया गया जिससे आप और गहरी अध्ययन कर सकते है मनोविज्ञान के बारे मे।
> Foundations of Psychology (HINDI/हिंदी में)